हमारे देश में प्रेम के सार्वजानिक प्रदर्शन को गलत माना जाता है। हाथ पकड़ने पर ही लोग अजीब शक्ल बना लेते हैं, तो इसके आगे की बात करने का सवाल ही नहीं उठता। शादी के अलावा लड़के और लड़की के रिश्तों को भारत में आसान नहीं माना जाता। हाँ, पहले की तुलना में अब प्रेम सम्बन्ध और विवाहपूर्व साथ रहने की बातें अब आम हो गयी हैं। लेकिन भारत का समाज ऐसे संबंधों के लिए मुश्किल ही साबित होता है। चूंकि दुनिया के किसी भी देश की तुलना में हम सबसे ज़्यादा बच्चे पैदा करते हैं, इसलिए मुझे लगता है की बहुत से भारतीय सेक्स को बेहद पसंद करते होंगे। हमने नैतिकता और सभ्यता के नाम पर हमने एक बनावटी समाज बना लिया है। वो समाज जो अब विस्फूट की कगार पर खड़ा है। मेरे पास ये साबित करने का कोई तरीका तो नहीं, लेकिन इतिहास गवाह है।
मैं यह बिलकुल नहीं कह रहा की सेक्स एक सार्वजानिक चीज़ बन जाए। लेकिन शायद हम इस पर इतना बवाल ना खड़ा करें तो लोग इस सम्बन्ध में ज़्यादा ज़िम्मेदारी से काम लें। क्यूंकि सेक्स को अब गुप्त न रखने का समय आ चूका है।
हम लोगों को प्यार और सम्भोग करने से नहीं रोक सकते। लेकिन इसे सुरक्षित बनाने का प्रयास तो अवश्य कर सकते हैं।